लेखक:
डॉ. सरबजीत सिंह छीना
सरबजीत सिंह छीना एग्रीकल्चर इकॉनोमिक्स में पीएच.डी. हैं और सिख इतिहास में गहरी रुचि रखते हैं। डॉ. छीना प्रसिद्ध ऐतिहासिक ख़ालसा कॉलेज से डीन, एग्रीकल्चर के रूप में सेवानिवृत्त हुए हैं। उन्होंने कई किताबों की रचना की है। कृषि अर्थशास्त्र के बारे में लिखी उनकी किताबें देशभर में भिन्न-भिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पढ़ाई जाती हैं। डॉ. छीना ‘कंफेडरेशन ऑफ़ इंडिया ऑफ़ यूनेस्को क्लब्स इन इंडिया’ के प्रधान हैं और लंबे समंय से रेडक्रॉस ऑफ़ इंडिया, इंडियन एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स आदि संस्थाओं के साथ भी जुड़े रहे हैं। वह विभिन्न अखबारों में आर्थिक विषयों पर निरंतर लिखते रहते हैं। इस पुस्तक के अनुवादक हिंदी के वरिष्ठ कवि-कथाकार सुभाष नीरव (मूल नाम : सुभाष चंद्र) हैं और विगत चार दशकों से हिंदी में मौलिक लेखन के साथ-साथ पंजाबी से हिंदी में अनुवाद कर रहे हैं। हिंदी में इनके छह कहानी-संग्रह, तीन लघुकथा-संग्रह, तीन कविता-संग्रह और दो बाल कहानी-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। एक कहानी-संग्रह पंजाबी में ‘सुभाष नीरव दीआँ चौणवियाँ कहाणियाँ’ प्रकाशित हुआ है। छह सौ से अधिक पंजाबी कहानियों और साठ से अधिक पंजाबी पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद करने का इन्हें श्रेय प्राप्त है। अनुवाद के लिए भारतीय अनुवाद परिषद, नई दिल्ली द्वारा ‘डॉ. गार्गी गुप्त द्विवागीश पुरस्कार, 2016-17’ से नवाजे जा चुके हैं। |
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बंदा सिंह बहादुरडॉ. सरबजीत सिंह छीना
मूल्य: $ 5.95 |